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सिंधु घाटी सभ्यता में मत्स्य पूजा...🏹🐬🐟

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        डा.करमाकर का विचार है, कि मत्स्य या मछली के प्रतीक चिन्ह की भगवान शिव के रूप मे पूजा मीना लोगो के देश मे प्रचलित थी एवं यह पूजा पूर्व वैदिक काल से संबंधित थी। अतः हम यह निश्चित रूप से कह सकते है कि मत्स्य भगवान की पूजा का विकास इन्हीं लोगो की भूमि से शुरु हुआ।      मोहनजोदडो के समय ईश्वर के सबसे लोक प्रिय रूप मछली या मत्स्य था। मोहन जोदडो की एक मुद्रा मे एक मछली के शिर वाला मनुष्य जो कि मानव आकृति से बडा है जिसके मछली के सिर पर सींग लगे हुये है, इससे प्रतीत होता है कि यह ईश्वर का ही एक प्रतीक था। इसी सील के कोने पर एक पेड के नीचे एक मानव आकृति है जिसके सिर पर त्रिशुल अंकित है भी नजर आती है।     नादुर का ईश्वर मछली एवं मानव के संयुक्त रूप पूजा जाता था। मोहनजोदडो की मुहरो में शिव को अधिकांशतया मीन नेत्र के रूप में चिन्हित किया गया है। (ए.पी.करमाकर -द रिलिजन आँफ इंडिया )               स्कंद पुराण मे मीन (मछली) एवं शिव का संबंध जोडा गया है इसके एक श्लोक मे  शिव को मीन या मीनाओ का राजा (मीननाथ/म...

राजनीति की वर्तमान परिस्थिति में कांग्रेस और भाजपा..🌳🌴

संघ का इतिहास, साजिशों का इतिहास रहा है। कांग्रेसी इनका मुकाबला नहीं कर सकते। नरेंद्र मोदी (आरएसएस) के सत्ता में आने के साथ देश पर फासीवाद का ख़तरा बढ़ गया है। मोदी सरकार की ...