इतिहास
#इतिहास "....मीना आदिवासियों को आर्यों के आगमन काल से ही प्रायः स्थानीय एवं बाह्य शक्तियों से दोहरा युद्ध करना पड़ा। जब ये विरोधी शक्तियॉ एक-एक करके मीनाओं से पराजित होने लगी, तो उन्होंने संगठन बनाकर मीना-शक्ति को कुचलना प्रारम्भ किया। मध्यकाल का मुग़ल-राजपूत एवं ब्रिटिश काल का राजपूत-अंग्रेज सहयोग इसके प्रत्यक्ष उदाहरण है। गुरिल्ला युद्ध पद्धति के जन्म दाता आदिवासी मीनाओं को यदि स्थानीय शक्तियों द्वारा साथ दिया गया होता, तो जम्बू द्वीप में कभी भी विदेशी शक्तियाँ अपनी जड़ें नहीं जमा पाती। प्राचीन मत्स्यों के यशस्वी उत्तराधिकारी मीनाओं गौरवपूर्ण आख्यानों को यदि भारतीय इतिहासकार इतिहास में संभालकर रखने का प्रयत्न करते, तो निःसंदेह देश के इतिहास की प्रामाणिकता एवं उपादेयता में वृद्धि होती" ~@रावत सारस्वत् (मीणा इतिहास)