"लूट" तब और अब

"लूट" तब और अब...💸
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       सत्ता और पूंजी की ताकत के मार्फत गुलाम बनाए गए भारत में ‘ईस्ट इंडिया कम्पनी‘ हिंदुस्तान को आर्थिक रूप से निचोड़ कर धन को ब्रिटेन पहुंचाने के लिए इतिहास में कुख्यात है। टैक्स और टैक्स के नाम पर चोरी के माध्यम से ब्रिटिश शासकों ने 1765 से 1815 ई. के बीच भारत से प्रतिवर्ष औसतन 1,80,000 पाउंड निचोड़े। लंदन में फ्रांस के राजदूत कॉम द शाटेल’ने लिखा था कि ’यूरोप में कुछ ही राजा होंगे जो ईस्ट इंडिया कम्पनी के निदेशकों से ज्यादा अमीर होंगे।’ तात्पर्य है, कि उस दौरान कंपनी अधिकारियों ने हिंदुस्तान की जनता को जैसा चाहा वैसे लूटा। इस तरह की लूट के समकालीन इतिहास में बहुतेरे उदाहरण है।–
🏴 1757 ई. में हुआ प्लासी युद्ध के पश्चात रॉबर्ट क्लाइव जब पहली बार इंग्लैंड लौटा, तो अपने साथ 2.3 करोड़ पाउंड निचोड़ कर ले गया और इस धन राशि ने उसे यूरोप के सर्वाधिक अमीर लोगों की पंक्ति में ला खड़ा किया। क्लाइव 1765 में पुन: भारत लौटा और 2 वर्ष बाद एक बार फिर 4 करोड़ पाउंड की धन राशि लेकर इंग्लैंड पहुंचा। भारत में लूट से इकट्ठे किए गए इस तरह के धन से इन्होंने इंग्लैंड में कई सारी संपत्तियां खरीदी। अपने पिता और स्वयं के लिए संसद में सीटें खरीद ली। वहाँ के अभिजात वर्ग में स्थान बना लिया। क्लाइव अक्सर और ज्यादा लूटकर ना लाने के लिए अपने आत्म संयम पर सार्वजनिक रूप धृष्टतापूर्वक आश्चर्य व्यक्त करते थे। 
राजनेता व लेखक हॉरेस वालपोल लिखा है, कि "...उन्होंने अपने एकाधिकारों और लूटपाट से हिंदुस्तान में लाखों लोगों को भूख से बेहाल कर दिया और अपनी समृद्धि और विलासिता से वहाँ अकाल जैसी स्थिति पैदा कर दी। उन्होंने अपनी समृद्धि से दामों को उस स्तर तक बढ़ा दिया, कि गरीब रोटी भी ना खरीद सके।"

🏴 कंपनी द्वारा लूटे गए भारतीय धन ने ब्रिटिश राजनीति को कैसे प्रभावित किया, इसके भी रोचक उदाहरण है। मद्रास में ईस्ट इंडिया कम्पनी के गवर्नर थॉमस पिट ने टैक्स चोरी के माध्यम से लूटे गए धन से 1702 ई. में एक 400 कैरट का हीरा 24,000 पाउंड में खरीदा। उस समय यह राशि काफी बड़ी मानी जाती थी और 99% अंग्रेजों की पहुंच से बाहर थी। इस हीरे के सुरक्षित ब्रिटेन पहुंचते ही थॉमस पिट ने गवर्नर का पद छोड़ दिया, एक बड़ी संपत्ति खरीद ली और एक बड़ी रकम देकर संसद की सीट प्राप्त कर ली। यह हीरा हिंदुस्तान की व्यापक समृद्धि, उस समृद्धि को निचोड़ लेने वाली ब्रिटेन की शक्ति और भारत में सत्ता के साथ आयी अंग्रेजी विलासिता का प्रतीक बन गया। 
         थॉमस पिट ने भारत से हीरा खरीदने के 15 वर्ष बाद इसे फ्रांस के रिजेंट डक डी ऑरलिंस को 1,35,000 पाउंड की बड़ी रकम में बेच दिया। इस भारी भरकम राशि ने पिट परिवार को अंग्रेज समाज में एक नए स्थान पर पहुंचा दिया।
       इस प्रकार एक भारतीय हीरे ने एक ब्रिटिश घराने को एक ऐसा वित्तीय स्प्रिंगबोर्ड दे दिया जिसने बहुत ही कम समय में ब्रिटेन को दो प्रधानमंत्री दिए। थॉमस पिट का पोता ’विलियम पिट’ और पड़पोता ’विलियम पिट ’द यंगर’।
       ➡️वर्तमान दौर में भी पूंजीवादी मकड़जाल ने भारतीय राजनैतिक व्यवस्था और अर्थव्यवस्था को इसी तरह गिरफ्त में ले रखा है। इस व्यवस्था ने गरीब और अमीर के बीच का दायरा लगातार बढ़ाया है। विभिन्न आंकड़ों के अनुसार पिछले कोरोना जैसी राष्ट्रीय आपदा के समय में धनकुबेरों की ’संपत्ति’ और गरीबों की ’संख्या’ में जोरदार वृद्धि देखी गई। जो कि आमजन के लिए विपत्ति काल जैसा है।

भूरसिंह मीणा 

 संदर्भ:–"AN ERA OF DARKNESS" by Shashi Tharoor.

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