आर्यों का मूल स्थान सेन्ट्रल एशिया था। आर्य पशु पालन का काम करते थे । आर्य जब भारतीय उप महाद्वीप में आये तो यहाँ घने जंगल थे । आर्यों को गायों के लिए घास के मैदानों की ज़रूरत थ...
पृथक गोंडवाना राज्य की संघर्ष गाथा..🌳🌴 ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ सर्वप्रथम गोंडवाना राज्य के लिए राज गोंडों की पहली बैठक सन 1917 मे कुरई (हरई) मे हुई। 1927 और 1930 मे भी बैठक हुई। 1933 मे राजा ज...
मेवल का मीना विद्रोह --------------------------- रावत सारस्वत ने अपनी पुस्तक के पृष्ठ – 170 पर लिखा है, कि राजस्थान में मीना एक ठेठ आदिवासी जाति है जिसने अपने अधिकारों की रक्षा के लिए निरन्तर संघर्ष भी जारी रखा और शताब्दियों तक शासक वर्ग को सुख चैन की नींद नही सोने दिया। राजनीतिक आर्थिक तथा सामाजिक सभी दृष्टियो से शोषित और पीड़ित होने पर भी मीनो का शौर्य और साहस अदभ्य रहा। उन्होंने महाराणा प्रताप सहित मेवाड़ के सभी राजाओ से संघर्ष किया। महाराणा राजसिंह के समय हुए मीना विद्रोह का वर्णन करते हुए गोरीशंकर हिराचंद ओझा ने उदयपुर राज्य का इतिहास भाग-2 पृष्ट-543 में लिखा है –“ मेवाड़ के दक्षिण हिस्से का भाग मेवल नाम से प्रसिद्द है जहाँ जंगली मीना जाति की आबादी अधिकतर है। पुराने समय में मीना बहुल इस क्षेत्र को मेवल के नाम से पुकारा जाता था। ” डॉ. देवी लाल पालीवाल ने प्राचीन पिंगल काव्य और महाराणा प्रताप के पृष्ट-9 में लिखा है की “मेवाड़ के दक्षिण भाग के रहने वाले पर्वतीय लोग मीना कहलाते है। ये लोग आस पास के इलाको में सदैव ही अशांति,उत्पात एवं लूटमार मचाते रहते थे। ”सच तो यह था...
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