गोंड़वाना राज्य आन्दोलन..

पृथक गोंडवाना राज्य की संघर्ष गाथा..🌳🌴
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                  सर्वप्रथम गोंडवाना राज्य के लिए राज गोंडों की पहली बैठक सन 1917 मे कुरई (हरई) मे हुई। 1927 और 1930 मे भी  बैठक हुई। 1933 मे राजा जोहारसिंह ने इस मांग के लिए 11हजार रुपयों का एक कोष की स्थापना की।

👉नारायणसिंह उईके:- गोंडवाना आदिवासी सेवा मंडल के अध्यक्ष नारायणसिंह उईके ने 1955 मे नागपुर विधान मंडल मे गोंडवाना राज्य की मांग की और विदर्भ को गोंडवाना राज्य मे मिलाने की सिफारिश की थी। छत्तीसगढ़ के सदस्यों तथा काँग्रेस के लोगो ने भी इसका समर्थन किया था।

👉हरिसिंह देव कंगाली माझी :- कंगाली माझी ने सन 1959 से 1962 के बीच गोंड अंचल मे विस्तृत यात्रा की थी तथा उन्होंने मांग रखी थी की गोंडवाना राज्य का निर्माण किया जाए। उन्होंने 1959 ई. मे भारतीय गोंडवाना संघ, माझी सरकार की ओर से  "अपना ताज अपना राज्य " की घोषणा की थी। मध्य प्रदेश के सन 1960 मे रायपुर मे आयोजित ढेबर कमिशन के सामने गोंडवाना राज्य की मांग रखी थी, कि छत्तीसगढ़ को गोंडवाना राज्य का दर्जा दिए जाने से ही यहाँ के आदिवासीयो का समूचित विकास होगा।

👉राजा नरेशसिंह :- 9 मई 1969 को राजा नरेशसिंह ने राज्य पुनर्गठन  आयोग के समक्ष एक प्रतिवेदन दिया था। जिसमे कहा गया था, कि आदिवासीयो के लिए  एक अलग राज्य का निर्माण छत्तीसगढ़ तथा रीवा राज्य को मिलाकर किया जाए।

👉शीतल मरकाम :- शीतल मरकाम ने सन 1974 मे गोंडवाना मुक्ति सेना गठित की। वे 1975 से गोंडवाना राज्य की मांग कर रहे है। तथा गोंडवाना मुक्ति सेना के सर सेनापति है। गोंडवाना मुक्ति सेना के द्वारा कई वर्षो से सांस्कृतिक, धार्मिक आंदोलन कर रहे है। शीतल मरकाम ने सन 1996 मे गोंडवाना राज्य संग्राम परिषद् की स्थापना की जिसके संयोजक शीतल मरकाम, मंसाराम कुमरे, राजा वासुदेवशाह टेकाम, बालकृष्ण मडावी, आदि। इस परिषद् के द्वारा " पृथक गोंडवाना राज्य " निर्माण हेतु 27 अक्टूबर 1996 मे लिंगो मैदान, न्यू रामदासपेठ, नागपुर मे गोंडवाना परिषद् का आयोजन किया गया था। इस परिषद् का उद्घाटन गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ति. हिरासिंह मरकाम (मध्य प्रदेश )ने किया था। कार्यक्रम की अध्यक्षता ति. रामाराव घोडाम आदिलाबाद(आंध्र प्रदेश ) ने की थी। इस परिषद् मे गोंडवाना राज्य की मांग की गई तथा कहा गया, कि संपूर्ण भारत मे गोंड लोगो की जनसंख्या 14 करोड है,  जिनके मातृभाषा गोंडी है। गोंडी भाषा को अनुसुची आठवीं मे मान्यता दी जाए।
                  गोंडवाना राज्य के लिए दीर्घकालीन संघर्ष होते रहे है। किंतु गोंडवाना राज्य का सपना पूरा नही हुआ। नव जागरण के इस प्रभाव बेला मे गोंडवाना की खोई हुई चेतना को पुन: निर्माण करना है। यही युग का संदेश है।।।।

जय सेवा - जय गोंडवाना, राज करेंगा गोंडवाना

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