मनुवाद..
कुछ भाई जानना चाहते है कि मनुवाद क्या है?
➡मनु महाराज के शासन सलाहकार ऋषि भृगु ने भृगु संहिता लिखी थी। इस के आधार मानव प्रबंधन अर्थात मनुस्मृति लिखी गई।हमारे देश के शासकों ने हजारों साल इस के आधार पर शासन चलाया था। आज के सन्दर्भ में इस ग्रन्थ को भारत में मानव शोषण की संहिता कहते है।
1- औरत को कोई भी अधिकार नहीं है। उसकी कोई इच्छा भी नहीं हो सकती है। पति,पिता,भाई या बेटा की इच्छा ही उसकी इच्छा होती है। औरत की कर्म बन्धन से मुक्ति नही है। औरत का विवाह एक बार ही हो सकता है।
2- शासन में मेहनतकश की भागीदारी नहीं हो सकती। दास प्रथा/जाति व्यवस्था /ऊंच नीच भी मनुस्मृति का मुख्य विकिरण है।
3- सम्पूर्ण समाज एव शासन वर्ण व्यवस्था के अनुसार चलेगा। ब्राह्मण सर्वाधिकार प्राप्त वर्ण होगा। शासक एव व्यवसायी को समान अधिकार होगें । शुद्र अथवा मेहनत करने वाला समाज का धन, ज़मीन एवं औरत को ब्राह्मण किसी से कभी भी छीन सकता है। शुद्र को मंदिर मेँ प्रवेश वर्जित है। शिक्षा का अधिकार केवल ब्राह्मण को है।
4- पाखंड, स्वर्ग की इच्छा, कर्म कांड, जन्म से मृत्यु तक ब्रामण की आवश्यकता । शादी भी ब्रम्ह इच्छा से होगी। मनुस्मृति में गरुड़ पुराण भी सम्मिलित है। जो की पूर्वजों की आत्मा की शांति का स्वर्गई स्वाँग है। मृत्यु उपरांत किये गए सारे कार्य गरुड़ पुराण से है।
इससे ब्राह्मण की अच्छी कमाई होती है।
5- मनुवादी शोच में ब्राह्मण की सर्वोच्चता प्रत्येक पायेदान पर खड़ी मिलेगी।
6- संस्थागत ऊँच नीच, धार्मिक एवं जातिवादी विचार मनुस्मृति की देन है। हिन्दू धर्म की भेदभाव पुर्ण दुर्गति के लिये मनुस्मृति ही जिम्मेदार है।
7- भारत के अन्य धर्म भी इस से अछूते नहीं रहे। उनमें भी इस मनु संवादों का पूरा असर देखने को मिलता है।
8- मनुस्मृति की सोच आज तक दासत्व भोगी जातियों को कायर डरपोक एव प्रत्येक दमन को सहने के लिये तैयार करती है।
मनुस्मृति का राजस्थान की आदिवासी संस्कृति पर मिश्रित असर देखने को मिलता है। आधुनिक युग में इस का प्रभाव दिनों दिन कम हो रहा है। आने वाला समय इसे मानव विकास में काली किताब के रूप में याद करेगा।
जय भारत
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